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Dr. Manmohan Singh की समाधि को लेकर विवाद, कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के अंतिम संस्कार से कुछ घंटे पहले उनकी समाधि को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए इसे “गंदी राजनीति” करार दिया, वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों का कड़ा जवाब देते हुए कहा कि कम से कम डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर राजनीति न करें।

कांग्रेस का आरोप और खड़गे की अपील

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि के लिए जगह तय करने की अपील की। खड़गे ने कहा, “यह परंपरा रही है कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और नेताओं की समाधि उनके अंतिम संस्कार की जगह पर बनाई जाती है।”

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि डॉ. सिंह, जो देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे, को समाधि के लिए स्थान न देकर केंद्र सरकार ने उनका अपमान किया है।

कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने कहा, “यह बहुत दुखद है कि एक ऐसे प्रधानमंत्री, जिन्होंने देश की सेवा की, के लिए समाधि बनाने के लिए जगह नहीं दी जा रही है। यह न केवल अपमानजनक है, बल्कि बेहद निंदनीय भी।”

Dr. Manmohan Singh की समाधि को लेकर विवाद, कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग

बीजेपी का जवाब: कांग्रेस बंद करे राजनीति

कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया। पार्टी ने कांग्रेस को डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राजनीति बंद करने की सलाह दी। बीजेपी ने कहा, “कांग्रेस को यह याद करना चाहिए कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जी के साथ उनके निधन के बाद कैसा व्यवहार किया था। कांग्रेस को अब ऐसी राजनीति से बचना चाहिए।”

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बीजेपी के बयान में कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि के लिए उचित स्थान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं पहले पूरी की जानी चाहिए।

समाधि को लेकर परंपरा का सवाल

डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि को लेकर कांग्रेस का तर्क है कि पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधि बनाने की परंपरा रही है। कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी, राजीव गांधी और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं की समाधियों का उदाहरण देते हुए कहा कि डॉ. सिंह को भी यह सम्मान मिलना चाहिए।

कांग्रेस के पंजाब के प्रमुख और सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा, “हम मांग करते हैं कि सरकार डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि के लिए स्थान उपलब्ध कराए। अगर अटल बिहारी वाजपेयी को यह सम्मान मिल सकता है, तो डॉ. मनमोहन सिंह को क्यों नहीं? वह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे, और उनकी समाधि से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा ले सकेंगी।”

डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार: समय और स्थान

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ। आज सुबह 8:30 बजे उनके पार्थिव शरीर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में रखा गया, ताकि लोग और कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सुबह 9:30 बजे मुख्यालय से उनकी अंतिम यात्रा शुरू होगी और दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार सुबह 11:45 बजे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न होगा।

कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग

कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर जुबानी जंग ने देश के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस जहां इसे केंद्र सरकार की उदासीनता बता रही है, वहीं बीजेपी इसे कांग्रेस की राजनीतिक चाल करार दे रही है।

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बीजेपी ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं है। पार्टी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का सम्मान सभी राजनीतिक दलों के लिए सर्वोपरि होना चाहिए और इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

डॉ. मनमोहन सिंह: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और सम्मानित नेता थे। वह न केवल एक अर्थशास्त्री के रूप में बल्कि एक कुशल प्रशासक के रूप में भी पहचाने जाते थे। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल में भारत ने आर्थिक विकास के नए आयाम स्थापित किए।

उनकी सादगी, ईमानदारी और राजनीतिक दूरदृष्टि ने उन्हें देश के नागरिकों के दिलों में अमिट स्थान दिलाया। उनकी समाधि को लेकर चल रहे विवाद से यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में उनका महत्व कितना बड़ा था।

डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि को लेकर विवाद भारतीय राजनीति में गहरी दरार को उजागर करता है। ऐसे समय में जब देश को उनके योगदान को याद करना चाहिए, राजनीतिक दल आपस में आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हुए हैं।

यह जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल मिलकर डॉ. मनमोहन सिंह को उचित सम्मान दें और उनकी समाधि के निर्माण के लिए उचित कदम उठाएं। उनका जीवन और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और उनकी समाधि उनके व्यक्तित्व और कार्यों की याद को अमर बनाएगी।

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